फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' पर बढ़ा विवाद,
सपा नेता ST हसन और मुस्लिम संगठनों ने की बैन की मांग
18 days ago
Written By: NEWS DESK
फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ के ट्रेलर रिलीज के बाद से ही इसे लेकर विवाद गहराता जा रहा है। जहां कुछ लोग इसे सत्य घटना पर आधारित फिल्म बता रहे हैं, वहीं पूर्व सांसद और समाजवादी पार्टी नेता डॉ. एस.टी. हसन सहित कई मुस्लिम संगठनों ने इस फिल्म पर बैन लगाने की मांग उठाई है।
फिल्म को बताया गया 'राजनीतिक एजेंडा'
सपा नेता डॉ. एस.टी. हसन ने फिल्म का विरोध करते हुए कहा है कि, देश की फिल्म इंडस्ट्री अब पूरी तरह से राजनीतिक हो चुकी है, और यह फिल्म भाजपा को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से बनाई गई है। उन्होंने कहा कि वोटों के ध्रुवीकरण के लिए इस तरह की फिल्में बनाई जाती हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर 'उदयपुर फाइल्स' जैसी फिल्म बनाई गई है, तो उन मुस्लिमों पर भी फिल्म बनाई जानी चाहिए, जिनकी गाय के नाम पर मॉब लिंचिंग कर दी गई। उन्होंने साफ कहा, "हम पैग़म्बरे इस्लाम की शान में किसी भी प्रकार की गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं कर सकते, इस फिल्म पर रोक लगाई जानी चाहिए।"
फिल्म से अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान – ST हसन
एस.टी. हसन का मानना है कि, इस फिल्म से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर बुरा असर पड़ेगा। उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से फिल्म पर रोक लगाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि देश में सांप्रदायिक सौहार्द और शांति व्यवस्था को इस फिल्म से खतरा हो सकता है।
वाराणसी की अंजुमन मसाजिद कमेटी ने सौंपा ज्ञापन
वहीं, इधर, वाराणसी में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से भी फिल्म पर कड़ा एतराज़ जताया गया है। शहर-ए-मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि यह फिल्म सांप्रदायिकता फैलाने वाली है और इसके प्रदर्शन पर रोक लगाई जानी चाहिए। संगठन ने इस संबंध में वाराणसी प्रशासन और पुलिस को ज्ञापन सौंपा है।
चुनाव आयोग पर भी साधा निशाना
वहीं, सपा नेता एस.टी. हसन ने इस मौके पर चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिहार में मतदाता सूची को लेकर चुनाव आयोग भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहा है, और सत्तारूढ़ दल को जिताने का एजेंडा चला रहा है।
11 जुलाई को रिलीज होगी फिल्म
'उदयपुर फाइल्स' 11 जुलाई 2025 को रिलीज हो रही है। फिल्म का ट्रेलर पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है और इसे लेकर जनता की प्रतिक्रिया दो धड़ों में बंटी हुई है। जहां एक वर्ग इसे ‘सच्चाई दिखाने वाली फिल्म’ बता रहा है, वहीं दूसरा वर्ग इसे धार्मिक भावनाएं भड़काने वाला प्रोपेगेंडा करार दे रहा है