3 साल बाद आमिर खान की बड़े पर्दे पर वापसी,
‘सितारे जमीन पर’ से ऑटिज्म बच्चों की दिल छू लेने वाली कहानी
1 months ago
Written By: ANJALI
बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान लंबे समय बाद एक बार फिर बड़े पर्दे पर वापसी करने जा रहे हैं, और वो भी एक खास कहानी के साथ। उनकी अगली फिल्म ‘सितारे जमीन पर’ को लेकर फैंस की दीवानगी इन दिनों चरम पर है। खास बात ये है कि यह फिल्म साल 2007 में आई सुपरहिट फिल्म ‘तारे जमीन पर’ का सीक्वल मानी जा रही है, जिसे अब एक नए एंगल और मैसेज के साथ पेश किया गया है।
थिएटर में ही दिखाना चाहते हैं फिल्म
आमिर खान पिछली बार साल 2022 में फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा' में नजर आए थे। हालांकि, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास कमाल नहीं दिखा सकी। अब वो एक बार फिर अपने दर्शकों के सामने एक सामाजिक मुद्दे पर आधारित कहानी लेकर आ रहे हैं, जो न सिर्फ प्रेरणादायक है बल्कि एक गहरी सोच को भी जन्म देती है। इस बार आमिर खान एक बास्केट बॉल कोच की भूमिका में हैं, जो 10 ऑटिज्म से जूझ रहे बच्चों को बास्केटबॉल खेलना सिखाते हैं और उनका आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। फिल्म में यह दिखाया गया है कि कैसे एक छोटा कद वाला कोच बड़े दिल से बच्चों की लाइफ चेंज कर देता है।
OTT का ऑफर ठुकराया
प्रमोशन के दौरान एक मीडिया शो में आमिर ने खुलासा किया कि उन्हें फिल्म की OTT रिलीज के लिए 60 से 125 करोड़ रुपये तक की डील मिली थी, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। इसके पीछे उनका साफ कहना था –“मैं OTT रिलीज के खिलाफ हूं क्योंकि मैं थिएटर का वफादार हूं। आज जो कुछ भी हूं, वो थिएटर की बदौलत हूं।”
ऑटिज्म को लेकर जागरूकता फैलाने की कोशिश
इस फिल्म की कहानी ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों पर बेस्ड हैं, जिनके जीवन को एक कोच कैसे रोशनी से भर देता है – यही फिल्म का मूल संदेश है। आमिर का मानना है कि समाज में आज भी ऑटिज्म को लेकर पर्याप्त जागरूकता नहीं है। उनका कहना है कि, “हमें अपने बच्चों को छिपाना नहीं चाहिए, बल्कि उन पर गर्व करना चाहिए। ये हमारे बच्चे हैं और हमें इन्हें अपनाना चाहिए, न कि शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए।”
20 जून को रिलीज होगी फिल्म
आमिर खान की ये बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सितारे जमीन पर’20 जून को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। ट्रेलर को दर्शकों ने खूब सराहा है, और अब हर किसी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ये फिल्म आमिर की पिछली फिल्मों की तरह दिल जीत पाएगी। यह फिल्म न सिर्फ एक सामाजिक संदेश देती है, बल्कि दर्शकों को सोचने पर मजबूर भी करती है कि हर बच्चा खास होता है — बस जरूरत है उसे समझने और अपनाने की।