Gloomy Sunday: संगीत सुकून देता है, लेकिन क्या कोई गाना जानलेवा भी हो सकता है? ग्लूमी संडे ऐसा ही एक गाना है जिसे सुनकर दुनिया भर में कई लोगों ने आत्महत्या कर ली। आइए जानते हैं इस खौफनाक और भावनात्मक गाने की पूरी कहानी के बारे में
ग्लूमी संडे की शुरुआत
1933 में हंगरी के मशहूर संगीतकार रेज्सो सेरेस ने अपनी टूटी मोहब्बत का दर्द ग्लूमी संडे में उकेरा। इस गाने को 1935 में सार्वजनिक किया गया, जिसने लोगों के दिल को अंदर तक झकझोर दिया।
गाने से जुड़ी पहली आत्महत्या
1935 में एक मोची ने खुदकुशी कर ली और उसके पास से ग्लूमी संडे के बोल लिखी चिट्ठी मिली। इसके बाद गाने से जुड़े आत्महत्या के कई मामले सामने आने लगे।
गाना सुनकर मौत चुनने लगे लोग
कई लोगों ने इस गाने को सुनने के बाद खुद को गोली मार ली, कुछ ने पानी में कूदकर जान दे दी। ये गाना धीरे-धीरे सुसाइड सॉन्ग के नाम से कुख्यात हो गया।
गाने पर लगा बैन
आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए 1941 में इस गाने पर सरकारी बैन लगा दिया गया। इसके बोलों की भावनात्मक गहराई को जानलेवा माना गया।
2003 में फिर से हुआ रिलीज
करीब 6 दशकों बाद 2003 में इस गाने से बैन हटा, लेकिन इसे चेतावनी के साथ रिलीज किया गया। आज भी ये गाना एक मनोवैज्ञानिक रहस्य बना हुआ है।
गहराई से जुड़ी पीड़ा
ग्लूमी संडे में गरीबी, युद्ध, अकेलापन और टूटे दिल की गहराई झलकती है। ये गाना उस दौर में आया जब लोग पहले से ही तनाव और डिप्रेशन से जूझ रहे थे, जिससे इसका असर और खतरनाक हो गया।
Disclaimer:
प्रिय दर्शक यह कहानी केवल जागरूकता के लिए है। इसे यहां तक पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। अगर आप मानसिक तनाव या डिप्रेशन से जूझ रहे हैं, तो कृपया किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लें।