सावन में क्यों नहीं खाना चाहिए नॉनवेज,
क्या है इसके पीछे की कहानी
15 days ago
Written By: ANJALI
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और आध्यात्मिक शुद्धता का समय माना जाता है। इस पवित्र महीने में लोग व्रत, पूजा-पाठ और सात्विक जीवनशैली का पालन करते हैं। ऐसे में नॉनवेज (मांसाहार) खाने की मनाही होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन में नॉनवेज क्यों नहीं खाया जाता? इसके पीछे धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक तर्क दोनों ही हैं। आइए विस्तार से समझते हैं।
धार्मिक कारण: शिव भक्ति और आध्यात्मिक शुद्धता
भगवान शिव का प्रिय महीना:
सावन का महीना भोलेनाथ को समर्पित है। इस दौरान शिवलिंग पर जल चढ़ाने, रुद्राभिषेक करने और मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है।
मांसाहार तामसिक प्रवृत्ति को बढ़ाता है, जिससे मन अशांत होता है और भक्ति में बाधा आती है।
जीव हत्या का पाप:
हिंदू धर्म के अनुसार, सावन में वर्षा ऋतु के कारण कीड़े-मकोड़े और सूक्ष्म जीव अधिक पनपते हैं। ऐसे में अनजाने में भी जीव हत्या होने का डर रहता है।
नॉनवेज खाने का अर्थ है जीवों की हत्या, जो पाप की श्रेणी में आता है।
व्रत और संयम का महत्व:
सावन में लोग उपवास और सात्विक आहार लेते हैं, जिससे शरीर और मन शुद्ध रहता है।
मांसाहार से काम, क्रोध और लोभ जैसी नकारात्मक भावनाएं बढ़ती हैं, जो आध्यात्मिक प्रगति में बाधक हैं।
वैज्ञानिक कारण: स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से
बारिश में खाद्य पदार्थों का जल्दी खराब होना:
सावन में नमी और बारिश के कारण मांस जल्दी सड़ने लगता है।
इस मौसम में बैक्टीरिया और फंगस तेजी से पनपते हैं, जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है।
कमजोर पाचन तंत्र:
वर्षा ऋतु में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। नॉनवेज भारी (गरिष्ठ) होता है, जिसे पचाने में शरीर को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
इससे एसिडिटी, गैस और पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
संक्रमण का खतरा:
बारिश के मौसम में मच्छर और कीटाणु अधिक सक्रिय होते हैं, जो मांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
इससे इंफेक्शन और बीमारियां फैलने का जोखिम बढ़ जाता है।