Kalawa Rules: क्यों बांधा जाता है कलावा,
क्या है इसका महत्व ?
1 months ago
Written By: ANJALI
हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ या शुभ कार्य से पहले हाथ में कलावा (मौली) बांधने की परंपरा है। यह सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि एक पवित्र रक्षासूत्र है, जिसका धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है। आइए जानते हैं कि कलावा क्यों बांधा जाता है, इसके नियम, मंत्र और विशेष लाभ।
1. कलावा क्यों बांधा जाता है?
धार्मिक महत्व
कलावा को रक्षासूत्र माना जाता है, जो बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब राजा बलि ने भगवान विष्णु से तीन पग भूमि दान में मांगी, तो उन्हें रक्षासूत्र से बांधा गया था। इसी कारण इसे शुभ और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।
वैज्ञानिक महत्व
कलावा बांधने से हाथ की कुछ विशेष नसों (नाड़ियों) पर दबाव पड़ता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
यह रक्तचाप, हृदय रोग और तनाव को नियंत्रित करने में सहायक माना जाता है।
2. किस हाथ में बांधना चाहिए कलावा?
कलावा बांधने का नियम व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है:
पुरुष और कुंवारी कन्याएं → दाएं हाथ में बांधते हैं।
विवाहित महिलाएं → बाएं हाथ में बांधती हैं।
विवाहित महिलाएं बाएं हाथ में क्यों बांधती हैं?
शास्त्रों के अनुसार, विवाह के बाद स्त्री अपने पति के वामांग (बाएं भाग) में रहती है, इसलिए उन्हें बाएं हाथ में कलावा बांधा जाता है। यह उनके वैवाहिक जीवन की सुख-शांति और पति की दीर्घायु के लिए शुभ माना जाता है।
कलावा बांधते समय बोलने वाला मंत्र:
"येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।"
4. कलावा कब उतारना चाहिए?
कलावा को मंगलवार या शनिवार के दिन उतारना शुभ माना जाता है।
पुराना कलावा उतारने के बाद नया कलावा बांध लेना चाहिए।
उतारे गए कलावे को पीपल के पेड़ के नीचे रख दें या बहते जल (नदी, तालाब) में प्रवाहित कर दें।