पौष अमावस्या 2025: पितृ तर्पण,
दान-पुण्य और दोष निवारण का सबसे शुभ दिन
3 days ago
Written By: Aniket Prajapati
पौष अमावस्या सनातन धर्म में बहुत खास मानी जाती है। यह साल की अंतिम अमावस्या होती है और पितृ तर्पण, स्नान-दान व व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। परंपरा के अनुसार इस दिन पवित्र नदी, तालाब या कुण्ड में स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। जहां नदी में स्नान संभव न हो, वहां घर पर नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किया गया दान और तर्पण पितरों और देवताओं को तृप्त करता है तथा परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है।
पौष अमावस्या का धार्मिक महत्व
पौष मास को पुण्यदायी माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन उपवास रखने और पितृ तर्पण करने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि और यहां तक कि पशु-पक्षी तथा भूत-प्रेत भी तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं। जिन लोगों की कुंडली में संतानहीनता का योग हो, उनके लिए यह व्रत तथा पितरों का तर्पण विशेष रूप से फलदायी रहता है।
शनि दोष और पितृ दोष से छुटकारे के उपाय
यदि किसी को शनि दोष या पितृ दोष की परेशानी हो तो पौष अमावस्या के दिन तर्पण और श्राद्ध करना आवश्यक माना जाता है। पितरों के नाम से तिल, वस्त्र, अन्न या पिंड का दान करने से पितृ दोष में राहत मिलती है और शनि दोष के असर भी कम होते हैं। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।
ग्रह दोषों से बचने के सामान्य उपाय
ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए पौष अमावस्या पर कपड़े और भोजन का दान जरूर करें। खिचड़ी का भंडारा करना भी बहुत शुभ समझा जाता है और इससे सामाजिक सेवा का लाभ भी मिलता है। दान, पूजा और व्रत करने से काल सरप दोष जैसी समस्याओं में भी राहत मिलने का विश्वास पाया गया है। इसलिए यह दिन आत्म-शुद्धि, दान और पितर तर्पण का समय माना जाता है।