कामिका एकादशी पर जानें तुलसी से जुड़े विशेष नियम,
क्या है इसका महत्व
7 days ago
Written By: ANJALI
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस बार 21 जुलाई 2025 को कामिका एकादशी के साथ सावन सोमवार का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो इस दिन को और भी अधिक पवित्र बना देता है। ऐसे में इस दिन तुलसी पूजन और व्रत के नियमों का पालन करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
एकादशी पर तुलसी से जुड़े विशेष नियम
तुलसी में जल अर्पित न करें:
मान्यता है कि एकादशी के दिन देवी तुलसी निर्जला व्रत रखती हैं, इसलिए इस दिन उन्हें जल अर्पित नहीं करना चाहिए।
तुलसी के पत्ते न तोड़ें:
इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। यदि भगवान विष्णु को भोग लगाने के लिए तुलसी दल चाहिए, तो एक दिन पहले ही पत्ते तोड़कर रख लें।
साफ-सफाई का रखें ध्यान:
तुलसी के आसपास की सफाई का विशेष ध्यान रखें। गंदगी या कीड़े-मकौड़े नहीं होने दें।
तुलसी पूजन का शुभ विधान
शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं।
तुलसी की 7 परिक्रमा करें और यह मंत्र बोलें:
"महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।"
अंत में तुलसी मां की आरती करें।
इस विधि से पूजन करने पर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
भगवान विष्णु को अर्पित करें तुलसी दल
एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल अवश्य शामिल करें, क्योंकि बिना तुलसी के भोग अधूरा माना जाता है। लेकिन ध्यान रहे कि इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने हैं, इसलिए पहले से ही तैयार करके रखें।
कामिका एकादशी का महत्व
यह एकादशी सावन मास में आती है और इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। सावन सोमवार के संयोग से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।