जाने कब से शुरु है कांवड़ यात्रा,
जाने क्या है नियम
1 months ago
Written By: ANJALI
हिंदू धर्म में सावन माह का विशेष महत्व है, और इस दौरान होने वाली कांवड़ यात्रा लाखों शिव भक्तों की आस्था का केंद्र बनती है। यह यात्रा पूर्णतः भगवान शिव को समर्पित है, जिसमें भक्त गंगाजल लेकर पैदल चलते हुए शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि इस यात्रा से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कांवड़ यात्रा 2025 की तिथियाँ
इस वर्ष सावन माह 11 जुलाई से 09 अगस्त तक रहेगा। कांवड़ यात्रा की शुरुआत 11 जुलाई से होगी, जो सावन के समापन तक चलेगी।
प्रतिपदा तिथि:11 जुलाई (रात 02:06 बजे) से 12 जुलाई (रात 02:08 बजे) तक।
सोमवार का विशेष महत्व: सावन के सोमवार को शिव पूजा और कांवड़ यात्रा का विशेष फल मिलता है।
कांवड़ यात्रा के नियम और दिशा-निर्देश
सात्विक जीवन:यात्रा के दौरान मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि तामसिक चीजों का सेवन वर्जित है।
कांवड़ की पवित्रता: कांवड़ को कभी जमीन पर न रखें। यदि रखना जरूरी हो, तो लकड़ी या साफ कपड़े पर रखें।
ब्रह्मचर्य का पालन: यात्रा के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक माना गया है।
मानसिक शांति: क्रोध, वाद-विवाद से बचें और शिव ध्यान में मग्न रहें।
नंगे पैर यात्रा: अधिकांश भक्त नंगे पैर चलते हैं, लेकिन शारीरिक स्थिति के अनुसार निर्णय लें।
स्वच्छता का ध्यान: गंगाजल और आसपास की स्वच्छता बनाए रखें।
परोपकार: रास्ते में किसी को परेशान न करें और सहयोग की भावना रखें।
कांवड़ यात्रा की पूजा विधि
संकल्प लें: यात्रा शुरू करने से पहले शिवजी का ध्यान कर संकल्प लें।
गंगाजल लेना: हरिद्वार, गढ़मुक्तेश्वर, या किसी पवित्र नदी से जल लेकर कांवड़ में भरें।
जलाभिषेक: शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए "ऊँ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
दान-पुण्य: यात्रा के बाद गरीबों को भोजन, वस्त्र या जलदान करें।
क्यों है कांवड़ यात्रा खास?
पौराणिक मान्यता: समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पान करने वाले शिवजी को गंगाजल से शांत किया गया था। इसलिए सावन में जलाभिषेक का विशेष महत्व है।
आध्यात्मिक लाभ: इस यात्रा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पापों का नाश होता है।
इस पावन यात्रा में शामिल होकर भक्त भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। जय भोलेनाथ!