सुहागिन के अंतिम संस्कार से पहले क्यों होता है 16 श्रृंगार ?
जानें धार्मिक मान्यता
1 months ago
Written By: anjali
जन्म और मृत्यु जीवन के अटल सत्य हैं। इंसान चाहे जितनी भी प्रगति कर ले, लेकिन मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार एक ऐसी परंपरा है, जिसे निभाना अनिवार्य माना गया है। हिंदू धर्म में यह 16 संस्कारों में से सबसे अंतिम संस्कार है।
अंतिम संस्कार क्यों होता है आवश्यक?
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, अंतिम संस्कार आत्मा को उसके भौतिक शरीर से पूरी तरह मुक्त करने के लिए किया जाता है। अगर आत्मा को अपने शरीर के प्रति मोह बचा हो, तो दाह संस्कार के बाद वह बंधन टूट जाता है और आत्मा नए शरीर को धारण करने या फिर स्वर्ग जाने के लिए स्वतंत्र हो जाती है।
सुहागिन के अंतिम संस्कार से पहले 16 श्रृंगार क्यों?
हिंदू धर्म में एक विशेष परंपरा है कि जब किसी सुहागिन (विवाहिता स्त्री) की मृत्यु होती है, तो उसके दाह संस्कार से पहले उसका 16 श्रृंगार किया जाता है। इसका उल्लेख और महत्व रामायण काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि माता सीता के विवाह के समय, उनकी मां महारानी सुनैना देवी ने उन्हें समझाया था कि जैसे शादी के समय दुल्हन 16 श्रृंगार करके अपने ससुराल जाती है और अखंड सौभाग्य पाती है, वैसे ही विवाहिता की मृत्यु के बाद भी उसे 16 श्रृंगार करके विदा किया जाना चाहिए।
धार्मिक मान्यता
मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन का 16 श्रृंगार उसके अगले जन्म में सौभाग्य और अखंड सुहाग की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। यह एक पारंपरिक प्रथा है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और आज भी कई परिवार इसे निभाते हैं।