चतुर्मास में जरुर करें ये काम,
इन बातों का रखें खास ख्याल
23 days ago
Written By: ANJALI
हिन्दू धर्म में देवशयनी एकादशी से चतुर्मास लग जाता है. जिसमें शादी-विवाह, गृह प्रवेश और मांगलिक कार्य आदि पर रोक लग जाती है. इन प्रतिबंधों के बाद भी चतुर्मास के दौरान कुछ कार्य किए जा सकते हैं. चतुर्मास का समय भगवान विष्णु के शयन काल के रूप में जाना जाता है, और इस दौरान कई शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं. हालांकि, कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें इस पवित्र अवधि में किया जा सकता है, बशर्ते कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक होता है.
पंचांग के अनुसार, इस साल 2025 में चार महीनों का चतुर्मास आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से शुरू हो जाएगा जो कि 6 जुलाई को है. और इसका समापन कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी पर होता है. इस बार ये देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को है और इसी दिन चतुर्मास खत्म हो जाएगा.
चतुर्मास में किए जाने वाले काम
ऐसी मान्यता है कि चतुर्मास मुख्य रूप से आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-चिंतन का समय होता है. इस दौरान आप ये कार्य कर सकते हैं.
चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु, शिव जी और अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना, मंत्र जाप, कथा-श्रवण और पाठ करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है. इस अवधि में यज्ञ और हवन भी किए जा सकते हैं.
जब चतुर्मास चल रहा हो तो धार्मिक स्थलों की यात्रा करना और पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है.
जरूरतमंदों को दान देना, भोजन कराना, वस्त्र दान करना या किसी भी प्रकार की सहायता करना बहुत पुण्यकारी होता है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, चतुर्मास में तुलसी, पीपल, आंवला जैसे पवित्र पौधे लगाना शुभ होता है. यह अवधि आध्यात्मिक ग्रंथों, शास्त्रों और अन्य ज्ञानवर्धक पुस्तकों के अध्ययन के लिए बहुत उपयुक्त होती है.
चतुर्मास के दौरान लोगों को मन को शांत और एकाग्र करने के लिए ध्यान और योग का अभ्यास करना चाहिए.
इन बातों का रखना होगा ध्यान
चतुर्मास के दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नए व्यापार का शुभारंभ जैसे मांगलिक कार्य चतुर्मास में नहीं किए जाते हैं. माना जाता है कि भगवान विष्णु के शयन करने के कारण इन कार्यों में उनका आशीर्वाद नहीं मिलता है.
चतुर्मास के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए. लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए. कुछ लोग चतुर्मास में विशेष रूप से एक समय भोजन करते हैं या कुछ विशेष खाद्य पदार्थों (जैसे पत्तेदार सब्जियां, दही) का सेवन नहीं करते है.
ब्रह्मचर्य का पालन करना और अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना महत्वपूर्ण है. क्रोध, लोभ, मोह जैसी नकारात्मक भावनाओं से दूर रहने का प्रयास करें.
इस दौरान सादा जीवन शैली अपनानी चाहिए. अनावश्यक भोग-विलास और प्रदर्शन से बचें. पूजा-पाठ और आध्यात्मिक गतिविधियों में नियमितता बनाए रखना चाहिए.
चतुर्मास की अवधि में गुरु दीक्षा लेना या किसी प्रकार की दीक्षा ग्रहण करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह आध्यात्मिक विकास का समय होता है.
चतुर्मास का उद्देश्य आत्म-शुद्धि, धर्म के प्रति समर्पण और ईश्वर से जुड़ाव को गहरा करना है. इन नियमों का पालन करके आप इस पवित्र अवधि का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं.