स्पर्म काउंट बढ़ाने के आसान उपाय,
जाने कितना स्पर्म एक पुरुष में होना चाहिए
14 days ago
Written By: ANJALI
किसी भी दंपत्ति के जीवन में संतान सुख एक अनमोल अनुभव होता है। जब गर्भधारण में देरी होती है या बार-बार प्रयास असफल रहते हैं, तो अक्सर महिलाएं ही डॉक्टर से सलाह लेती हैं। लेकिन यह भूलना नहीं चाहिए कि संतान प्राप्ति में पुरुषों की प्रजनन क्षमता भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। स्पर्म काउंट यानी पुरुष के सीमेन में मौजूद शुक्राणुओं की संख्या गर्भधारण की संभावना को सीधे प्रभावित करती है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि एक पुरुष में कितना स्पर्म काउंट होना चाहिए और अगर यह कम है तो इसे कैसे सुधारा जा सकता है।
स्पर्म काउंट क्या होता है
स्पर्म काउंट का मतलब है कि एक पुरुष के स्खलन (ejaculation) के दौरान प्रति मिलीलीटर सीमेन में कितने शुक्राणु (sperm) मौजूद हैं।
शुक्राणुओं की संख्या जितनी अधिक होगी, गर्भधारण की संभावना उतनी ही बेहतर होती है। वहीं यदि संख्या कम है, तो इससे गर्भधारण में रुकावट आ सकती है।
एक स्वस्थ पुरुष में कितना स्पर्म काउंट होना चाहिए
चिकित्सकों के अनुसार, एक स्वस्थ पुरुष में प्रति मिलीलीटर सीमेन में कम से कम 15 मिलियन और कुल मिलाकर 39 मिलियन से कम नहीं स्पर्म होने चाहिए।
लेकिन सिर्फ संख्या ही नहीं, स्पर्म की गुणवत्ता (quality), गति (motility) और आकार (morphology) भी सफल गर्भधारण में अहम भूमिका निभाते हैं।
स्पर्म काउंट की जांच कैसे करें
स्पर्म काउंट की जांच एक साधारण टेस्ट से की जाती है, जिसे Semen Analysis कहा जाता है।
इसमें सीमेन को माइक्रोस्कोप के जरिए जांचा जाता है।
रिपोर्ट में शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और आकार की जानकारी दी जाती है।
यह जांच किसी भी नजदीकी पैथोलॉजी लैब या प्रजनन विशेषज्ञ क्लिनिक में करवाई जा सकती है।
स्पर्म काउंट बढ़ाने के आसान उपाय
अगर किसी पुरुष में स्पर्म काउंट कम है, तो कुछ आसान उपायों को अपनाकर इसमें सुधार लाया जा सकता है। हेल्दी डाइट लें – विटामिन C, ज़िंक और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करते हैं।तनाव को कम करें – अधिक मानसिक तनाव हार्मोनल बैलेंस को बिगाड़ सकता है, जिससे प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। धूम्रपान और शराब से बचें – ये दोनों आदतें शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। नियमित व्यायाम करें – फिजिकल एक्टिविटी से हार्मोन संतुलित रहते हैं और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे स्पर्म प्रोडक्शन में सुधार आता है।