कहीं आप भी सांस लेते वक्त तो नहीं कर रहे ये गलती,
सुनकर उड़ जायेंग आपके होश
21 days ago
Written By: ANJALI
हम सबको बचपन से यह सिखाया गया है कि हमेशा नाक से सांस लेना चाहिए, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि सांस लेने का तरीका ही कई बार हमारे तनाव, दर्द और थकान की असली वजह बन सकता है? सांस लेना जितना स्वाभाविक है, उतना ही असरदार भी — अगर इसे सही तरीके से किया जाए। सांस लेना सिर्फ शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम नहीं करता, बल्कि यह आपके शरीर की मूवमेंट क्वॉलिटी, पॉश्चर और मानसिक स्थिति पर भी गहरा असर डालता है। आइए जानें कि गलत तरीके से सांस लेने से क्या नुकसान हो सकते हैं और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।
गलत तरीके से सांस लेने के नुकसान
1. तनाव और मसल टेंशन बढ़ना
जब आप तेज़ और हल्की सांसें लेते हैं, खासकर मुंह से, तो शरीर बार-बार fight-or-flight मोड में चला जाता है। इससे मांसपेशियों में खिंचाव आता है और शरीर में तनाव बढ़ने लगता है।
2. डायफ्राम का कम इस्तेमाल
तेज और ऊपरी हिस्से (छाती) से सांस लेने की आदत बनने पर शरीर में सांस की मुख्य मांसपेशी डायफ्राम का इस्तेमाल कम होने लगता है। इसका असर गले और कंधों पर पड़ता है, जिससे वहां मसल्स में तनाव आता है।
3. पोश्चर और पीठ दर्द की समस्या
गलत सांस लेने से रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ता है, जिससे पॉश्चर बिगड़ता है। यह गर्दन में झुकाव, कंधों में अकड़न और पीठ दर्द का कारण बन सकता है। जब तक सांस लेने का तरीका ठीक नहीं होगा, तब तक एक्सरसाइज या स्ट्रेचिंग का पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा।
क्या आप सही सांस ले रहे हैं? ऐसे पहचानें
टेस्ट करें: पीठ के बल लेट जाएं, घुटने मोड़ें और हाथ पसलियों पर रखें। अब ध्यान दें कि सांस लेते समय आपकी पसलियां फैलती हैं या सिर्फ कंधे और गर्दन में हलचल होती है। अगर पसलियों में मूवमेंट नहीं है और कंधे हिल रहे हैं, तो यह संकेत है कि आप shallow breathing यानी सतही सांस ले रहे हैं।
सही तरीके से सांस लेने के फायदे
तनाव में कमी आती है
रीढ़ और मांसपेशियों में संतुलन बनता है
नर्वस सिस्टम शांत होता है
शारीरिक रिकवरी बेहतर होती है
वर्कआउट और योग के असर को बढ़ाता है
Deep Breathing की तकनीक: एक्सटेंडेड एक्सहेल
इस अभ्यास से आप धीरे-धीरे और नियंत्रित तरीके से सांस लेना सीख सकते हैं:
आराम से बैठ जाएं और हाथ पसलियों पर रखें
4 सेकंड तक नाक से सांस लें
8 सेकंड तक नाक या मुंह से धीरे-धीरे सांस छोड़ें
2 सेकंड का ब्रेक लें
इसे 10 से 12 बार दोहराएं
यह तकनीक डायफ्राम को एक्टिव करती है और शरीर को रिलैक्स करने में मदद करती है।
वर्कआउट से पहले सांसों पर क्यों दें ध्यान?
वॉर्मअप से पहले डीप ब्रीदिंग करने से शरीर की तैयारी बेहतर होती है
सांस छोड़ते समय पावरफुल मूवमेंट करें, जैसे वेट उठाते समय
योग और स्ट्रेचिंग में सांस को गाइड की तरह इस्तेमाल करें
हल्के कार्डियो करते समय केवल नाक से सांस लेना फायदेमंद होता है