पुरुष अपनी इन आदतों में फौरन करें सुधार,
वरना पिता बनने में हो सकती है परेशानी
1 months ago
Written By: ANJALI
आजकल की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में जहां काम का बोझ, तनाव और समय की कमी आम हो चुकी है, वहीं इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर भी पड़ता है। मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और दिल की बीमारियों के साथ अब एक और गंभीर समस्या पुरुषों को तेजी से घेर रही है — वह है गिरता हुआ स्पर्म काउंट।
शोधों और विशेषज्ञों की मानें तो पुरुषों में फर्टिलिटी कम होने का सबसे बड़ा कारण गलत लाइफस्टाइल और कुछ बुरी आदतें हैं। खराब खानपान, अत्यधिक शराब और सिगरेट का सेवन, और कुछ ऐसी आदतें जिन पर अक्सर हम ध्यान नहीं देते, पुरुषों की प्रजनन क्षमता को धीरे-धीरे खत्म कर रही हैं। अगर आप भी पिता बनने की योजना बना रहे हैं या भविष्य में हेल्दी फर्टिलिटी बनाए रखना चाहते हैं, तो इन आदतों को समय रहते बदलना बेहद जरूरी है।
1. लैपटॉप को पैरों पर रखकर काम करना
बहुत से पुरुष आराम के चक्कर में लैपटॉप को अपनी जांघों पर रखकर घंटों काम करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये आदत आपकी फर्टिलिटी के लिए नुकसानदायक हो सकती है?
लैपटॉप से निकलने वाली गर्मी सीधे आपके टेस्टिकल्स के तापमान को बढ़ा देती है, जिससे स्पर्म प्रोडक्शन पर असर पड़ता है। बेहतर होगा कि लैपटॉप को हमेशा टेबल पर रखकर काम करें।
2. टाइट अंडरवियर पहनना
फैशन के नाम पर टाइट अंडरवियर पहनना आजकल आम हो गया है, लेकिन यह आदत भी स्पर्म काउंट को नुकसान पहुंचा सकती है। टाइट अंडरवियर से टेस्टिकल्स का तापमान बढ़ जाता है, जिससे स्पर्म बनना धीमा या बंद हो सकता है।
हल्के, सूती और ढीले अंडरवियर पहनना फायदेमंद साबित हो सकता है।
3. धूम्रपान और शराब का सेवन
सिगरेट और शराब सिर्फ फेफड़ों या लिवर को ही नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि ये पुरुषों की फर्टिलिटी पर भी सीधा हमला करते हैं। स्मोकिंग से स्पर्म की क्वालिटी और गतिशीलता घटती है। शराब के सेवन से शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर घट सकता है, जो स्पर्म बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। अधिक सेवन से इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या भी हो सकती है।
पुरुषों की फर्टिलिटी को बेहतर बनाए रखने के लिए जरूरी है कि वे अपनी रोज़मर्रा की आदतों पर ध्यान दें। लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलाव, जैसे कि हेल्दी डाइट, नियमित व्यायाम, तनाव से दूरी और बुरी आदतों से बचाव न सिर्फ स्पर्म काउंट को बढ़ाते हैं बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाते हैं।