क्यों प्रिय है गणेश जी को दूर्वा?
दूर्वा के सेहत से जुड़े 5 बड़े फायदे
1 months ago
Written By: ANJALI
इस साल गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। इस पावन अवसर पर भक्तजन घर-घर में बप्पा की स्थापना कर उन्हें मोदक, लड्डू और फूल अर्पित करते हैं। लेकिन इनके साथ-साथ एक चीज और बेहद खास मानी जाती है—दूर्वा घास। भगवान गणेश की पूजा दूर्वा के बिना अधूरी मानी जाती है। क्या आप जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा और सेहत से जुड़े फायदे? आइए जानते हैं विस्तार से।
पौराणिक कथा: क्यों प्रिय है गणेश जी को दूर्वा?
प्राचीन समय में अनलासुर नामक राक्षस धरती और स्वर्ग लोक में आतंक मचाए हुए था। वह ऋषियों और लोगों को निगल जाता था, जिससे चारों ओर भय का माहौल बन गया। जब देवता असहाय हो गए तो उन्होंने भगवान गणेश से सहायता मांगी।
भगवान गणेश ने अपने अद्भुत सामर्थ्य से राक्षस अनलासुर को निगल लिया। लेकिन इसके बाद उनके पेट में तीव्र जलन होने लगी। जब यह जलन शांत नहीं हुई तो कश्यप ऋषि ने उन्हें दूर्वा घास की 21 गांठें खाने को दीं। दूर्वा खाते ही गणेश जी की जलन शांत हो गई। तभी से दूर्वा गणपति बप्पा की प्रिय वस्तु बन गई और उनकी पूजा में इसे चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।
दूर्वा के सेहत से जुड़े 5 बड़े फायदे
दूर्वा सिर्फ पूजा सामग्री ही नहीं, बल्कि एक औषधीय पौधा है, जिसे आयुर्वेद में अमृत समान माना गया है। आइए जानते हैं इसके अद्भुत फायदे:
1. पाचन शक्ति में सुधार
दूर्वा का रस पेट की जलन, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याओं में बेहद कारगर है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।
2. इम्युनिटी को मजबूत बनाए
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। नियमित सेवन से कई बीमारियों से बचाव होता है।
3. त्वचा रोगों में लाभकारी
दूर्वा का लेप खुजली, रैशेज और त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करता है। यह त्वचा को ठंडक और पोषण प्रदान करता है।
4. ब्लड शुगर को संतुलित रखे
दूर्वा का रस ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे डायबिटीज रोगियों को राहत मिल सकती है।
5. शरीर को ठंडक पहुंचाए
पौराणिक कथा की तरह, दूर्वा शरीर की गर्मी को कम करती है। यह गर्मियों में नकसीर और पेट की जलन जैसी समस्याओं से राहत देती है। इस गणेश चतुर्थी जब आप बप्पा को दूर्वा अर्पित करें, तो इसके पीछे की पौराणिक कथा और सेहत से जुड़े लाभों को याद रखें। यह न केवल भगवान गणेश को प्रिय है, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी प्रकृति का अनमोल उपहार है।