फैटी लिवर की समस्या से है परेशान,
तो रोजाना बस इन ड्रिंक्स का करें सेवन, समस्या होगी छू मंतर
1 days ago
Written By: ANJALI
आज के समय में फैटी लिवर (Fatty Liver) की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इसकी मुख्य वजह है खराब लाइफस्टाइल, अनहेल्दी डाइट और शारीरिक गतिविधियों की कमी। लिवर में जब जरूरत से ज्यादा फैट जमा होने लगता है, तो यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। अगर समय रहते ध्यान दिया जाए तो कुछ आसान उपाय अपनाकर फैटी लिवर की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
हार्वर्ड-ट्रेंड गैस्ट्रोएंटेरियोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करके कुछ ऐसे ड्रिंक्स (Drinks to Reduce Fatty Liver) बताए हैं, जिन्हें डाइट में शामिल करने से लिवर हेल्दी रहता है और फैटी लिवर की समस्या कम हो सकती है। आइए जानते हैं इनके बारे में:
1. ब्लैक टी (Black Tea)
बिना दूध और चीनी वाली काली चाय फैटी लिवर को कम करने में मदद करती है।
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स लिवर में जमा फैट और सूजन को घटाने में सहायक हैं।
दिन में 1-2 कप ब्लैक टी पीना लिवर फंक्शन को बेहतर बनाता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस भी कम करता है।
2. ग्रीन टी (Green Tea)
ग्रीन टी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है।
इसमें पाया जाने वाला Epigallocatechin Gallate (EGCG) नामक एंटीऑक्सीडेंट लिवर में फैट मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है।
यह न सिर्फ फैटी लिवर डिजीज में राहत देता है बल्कि लिवर फंक्शन को भी सुधारता है।
3. ब्लैक कॉफी (Black Coffee)
बिना दूध और चीनी वाली ब्लैक कॉफी फैटी लिवर के लिए रामबाण मानी जाती है।
इसमें मौजूद Chlorogenic Acid जैसे कंपाउंड एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होते हैं।
यह लिवर की सूजन को कम करते हैं और फाइब्रोसिस (Fibrosis) का खतरा घटाते हैं।
लेकिन ध्यान रखें, दिन में 1-2 कप से ज्यादा ब्लैक कॉफी न पिएं।
4. माचा टी (Matcha Tea)
माचा एक पाउडर फॉर्म की ग्रीन टी है, जो एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है।
यह लिवर में जमा फैट को कम करने और डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करती है।
रोजाना 1 कप माचा टी पीना लिवर हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है।
फैटी लिवर की समस्या को कंट्रोल करने के लिए हेल्दी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और कुछ खास ड्रिंक्स को डेली रूटीन में शामिल करना बेहद जरूरी है। ब्लैक टी, ग्रीन टी, ब्लैक कॉफी और माचा टी को सीमित मात्रा में लेने से लिवर हेल्थ बेहतर रहती है और फैटी लिवर डिजीज का खतरा कम हो जाता है।